ब्लॉग प्रसारण पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!!!

ब्लॉग प्रसारण का उद्देश्य पाठकों तक विभिन्न प्रकार की रचनाएँ पहुँचाना एवं रचनाकारों से परिचय करवाना है. किसी प्रकार की समस्या एवं सुझाव के लिए इस पते पर लिखें. blogprasaran@gmail.com

मित्र - मंडली

पृष्ठ

ब्लॉग प्रसारण परिवार में आप सभी का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन


Monday, September 30, 2013

ब्लॉग प्रसारण: सोमवारीय अंक

नमस्कार , पुनः उपस्थित हूँ ब्लॉग प्रसारण के सोमवारीय अंक के साथ. कोशिश की है कि कुछ बेहतरीन लिंक्स आपके लिए पेश कर सकूँ तो पढ़िए, आनंद लीजिये और नए सप्ताह की अच्छी शुरुआत कीजिये. अपनी पसंदगी नापसंदगी जरूर बताइए :

टीस 

सावन संग होड़  

 बेटी को बचा लो एक लघु कथा  

मर्ज जो अच्छा नहीं होता

अर्थ हीन  

एक कहानी

सदाबहार अभिनेता देव आनंद 

    

मैं अभस्त हूँ  

बलबीर राणा “अडिग”

स्वप्न !!! ( कविता ) 

अन्नपूर्णा वाजपेयी

क्षणिका सम्राट---मिश्रीलाल जायसवाल 

नियति 

सरस

नियति के विस्तृत सागर में

कब कौन कहाँ तर पाया है -

जिसको चाहा , रौंदा उसने

और पार किसीको लगाया है

और अंत में 

इसी के साथ मुझे अपने मित्र नीरज कुमार 'नीर' को दीजिये इजाजत , फिर मुलाकात होगी अगले सोमवार को .. धन्यवाद



Sunday, September 29, 2013

रविवार, 29 सितम्बर 2013 
ब्लॉग प्रसारण 
नमस्कार  मित्रों, 
स्वागत है आपका आज रविवारीय ब्लॉग प्रसारण में, प्रस्तुत करती हूँ कुछ चुने हुए लिंक ..

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
अलकनंदा सिंह 

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
अभिषेक कुमार झा 

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
अभि श्रीवास्तव 

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
ग़ज़ल ग़ालिब की गली से 

इमरान अंसारी 
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
ई. प्रदीप कुमार साहनी
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

अपर्णा बोस 

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
प्रवीण मलिक 


~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
अमृता तन्मय 
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
अनीता 

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
सुशील कुमार जोशी 

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
उपासना सियाग 

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
अब कुछ तकनीकी जानकारी 
अमीर अली , दुबई 
हितेश राठी 
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
इसके साथ ही मुझे इजाजत दीजिए....... अगले रविवार फिर मिलेंगे 





Saturday, September 28, 2013

रचनेवाला ही जानता है, वो किसे, किसलिए रचता है.. ब्लौग प्रसारण।

***नमस्कार मित्रों****

आज मैं पुनः हाजिर हूं ब्लौग प्रसारण के एक और अंक के साथ... उमीद है आप मेरे द्वारा चयनित सभी लिंकों को अपना स्नेह देंगे...


इस विश्वास के साथ पेश है आप के प्यारे लिंकों से सजा प्सारण...

अपने मां बाप के लिये
कुछ नहीं कर पाते हैं
इसलिये मरने के बाद
उनकी इच्छाओं को पूरा
जरूर करना चाहते हैं



रचनेवाला ही जानता है, वो किसे, किसलिए रचता है
किसे मिलेगा ताप सतत, और किसे मिले सद शीतलता
किसका कैसा रूप, क्या कर्म, तय वही सभी का करता है



अतः मैं अबतक ज्ञात उन पोस्टों का लिंक यहाँ लगा रहा हूँ जो इस सेमिनार के बारे में लिखी गयी हैं। जो छूट गयी हैं या आगे आने वाली हैं उनका लिंक टिप्पणियों
के माध्यम से दीजिए। क्रमशः उन्हें जोड़ता जाऊँगा और भविष्य के पाठकों के लिए सारा मसाला एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाएगा



रिश्ते बहुत गहरे  होने होते हैं
उकता जाने के लिए
पढ़ता  हूँ  हर बार बस  उड़ती निगाह से …
कि कहीं बासी न पड़  जाए


गुजरे लम्हे डरा रहे हैं
रात के काले साये बनकर
धड़कनों पे पहरा है कोई
मौन हैं जज़्बात दिल के


अम्मा के जेवर तो पहले से ही, गिरवी रक्खे थे !
स्वर्ण फूल दोनों बहनों ने,चुप्पा चुप्पा बाँट लिए  
सब चिंतित थे उनके हिस्से में जाने क्या आयेगा
अम्मा के मैके से आये,गणपति बप्पा बाँट लिए




लेकर आया हूँ प्रीत अमिट रंग,भरके अपनी झोली में
आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
परसा फ़ूला नीम भी बौराया
भंग रंग भंगीला मौसम आया


पूछो मत हाल कैसे हैं यारों वहां के ।।
कहीं पर घोटाला, कहीं पर हवाला।
निकालेंगे ये मुल्क का अब दिवाला ।।



आज से 15 साल पहले स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन (Larry Page and Sergey Brin) ने साथ मिलकर एक कंपनी
शुरू की जो आज विश्‍व की शीर्ष कम्‍पनियों की लिस्‍ट में है। आज हर कोई गूगल को जानता है, इसकी सर्विस विश्‍वस्‍तरीय हैं, केवल जीमेल पर एकाउन्‍ट बनाकर एक ही
ईमेल आईडी से गूगल की 15 से भी ज्‍यादा सेवाओं (services) को लाभ (benefit ) उठा सकते हैं


माँ से  बड़ा न स्वर्ग ,उसे दुख कभी न देना
मिट जाते दुख-दर्द , पास में माँ के जा के

ममता के ही फूल ,मिलें आंचल में  माँ के
                                                         

कहाँ   तक    इनके    गुण  गिनवाएं                                                             ख्याति   हर  दिन    बढती    जाए  
                                                              बच्चों     को  सुख  का  अहसास   रहेगा

आज बस इतना ही... मिलते रहेंगे



धन्यवाद...

Friday, September 27, 2013

सृजन

सभी मित्रों को मेरा नमस्कार!

आज के प्रसारण में आपके ही कुछ नए-पुराने लिंक्स लेकर उपस्थित हूँ. आशा है अपना आशीष प्रदान करेंगे.


प्रजातन्त्र में प्रजा ही, चुनती है सरकार। 
पाँच साल के बाद में, मिलता यह अधिकार।। 
उसको अपना वोट दो, जो हो पानीदार। 
संसद में...

छंद सरसी [16, 11 पर यति , कुल 27 मात्राएँ , पदांत में गुरु लघु] 
 चाक   निरंतर   रहे   घूमता, कौन   बनाता   देह | 
 क्षणभंगुर   होती...

प्रीतिलता वादेदार (बांग्ला : প্রীতিলতা ওয়াদ্দেদার) (5 मई 1911 – 23 सितम्बर 1932) भारतीय स्वतंत्रता संगाम की महान क्रान्तिकारिणी थीं।...

चाहता हूं 
रुक जाए गति पृथ्वी की 
काल से कहूं सुस्ता ले कहीं 
आज मुझे बहुत प्यार करना है ज़िन्दगी से। 
खोल दूंगा आज मैं 
अपनी उदास खिड़कियां...


नौ महीने 
अपनी कोख में सम्भाला 
पीड़ा सहकर 
लायी मुझे दुनिया में 
जानती हूँ बहुत दुःख सह, ताने सुन
 जन्म दिया मुझे 
मैंने सुना था, माँ! जब बाबा...

श्रीमदभगवद गीता अध्याय चार: श्लोक (६ -१०) प्रभु के अवतार का उद्देश्य  श्रीभगवानुवाच  बहुनि मे व्यतीतानी, जन्मानि तव...

जन्म: 1922, रायपुर में ,निधन: 1991 १.  ताज़ा हवा बहार की दिल का मलाल ले गई पा-ए-जुनूँ से हल्क़ा-ए-गर्दिश-ए-हाल ले गई जुरअत-ए-शौक़ के...

सूरज चमका नीलगगन में, फिर भी अन्धकार छाया   
धूल भरी है घर आँगन में, अन्धड़ है कैसा आया 
वृक्ष स्वयं अपने फल खाते, सरिताएँ जल पीती है...

आज बस इतना ही!
नमस्कार!

Thursday, September 26, 2013

ब्लॉग प्रसारण : अंक 128

 नमस्कार मित्रों,
                   आज के इस १२८ वें अंक में आप सभी का मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। एक बार फिर मैं अपनी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं।आशा है आप सब पहले की ही तरह अपना स्नेह बनाये रखेंगे,तो आइये एक नजर डालते है आज के प्रसारण की तरफ...


मन की किताब
ऋता शेखर मधु 
मन की किताब
कुछ खुले पृष्ठ
कुछ अधखुले से
कुछ मुड़े तुड़े
कुछ बन्द से

सत्तइसा के पूत पर, पढ़ते मियाँ मिलाद
रविकर जी 

टोपी बुर्के कीमती, सियासती उन्माद |
सत्तइसा के पूत पर, पढ़ते मियाँ मिलाद |

पढ़ते मियाँ मिलाद, तिजारत हो वोटों की |
ढूँढे टोटीदार, जरुरत कुछ लोटों की |

रविकर ऐसा देख, पार्टियां वो ही कोपी |
अब तक उल्लू सीध, करे पहना जो टोपी |


न्यायपालिका के पंख कुतरने की कोशिश
श्यामल सुमन
"यह आरोप मेरी बढ़ती लोकप्रियता के कारण विरोधियों ने साजिश के तहत लगाया है" - "मुझे भारत की न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है" - आदि आदि ---पिछले २-३ दशकों से आरोपी रहनुमाओं के ऐसे खोखले बयान सुन सुनकर हम सभी आजिज हो गए हैं। 


कहने को साँसें चलतीं पर जीवन है लाचार यहाँ
सत्ता की सारी मनमानी क्यों करते स्वीकार यहाँ

उद्देश्य ब्लोगिंग का 
 सतीश सक्सेना
सन २००५ में पहली बार अपना ब्लोगर अकाउंट बनाया था , मगर पहली पोस्ट २४ मई २००८ को प्रकाशित की गयी जब.…

अहिल्‍या - ना शबरी..
अलकनंदा सिंह
हे सखा...हे ईश्‍वर..क्षीर नीर करके
दुनिया को भरमाया तुमने
पर मुझे न यूं बहला पाओगे



छाँव इन्हीं की सारे तीरथ.....
अरुण कुमार निगम
आल्हा छंद (16 और 15 मात्राओं पर यति. अंत में गुरु-लघु)

बीते कल ने आने वाले , कल का थामा झुक कर हाथ
और कहा कानों में चुपके , चलना सदा समय के साथ ||

ख्वाहिश.....
पूनम 

नज़र की ख्वाहिश का दिल बीमार था रोता रहा..
रात भर आँखों से .... तेरा इंतजार होता रहा..!!

bitiya
Kuldeep Dingh
आ गयी घर में एक नन्ही सी कली,
जिसकी मुस्कान की खुशियाँ इस दिल में हैं पली,
वो निभाएगी दायित्व और सर फख्र से ऊँचा होगा,
जिस अरमान को उसके आगमन पे सींचा होगा,

खाली हुआ जो वही भरा
अनिता 
निर्मलता शांति को प्रकट करती है. आकाश यदि घनमालाओं से आवृत हो तो इतना विशाल प्रतीत नहीं होता, शुभ्र गगन अनंत शांति को प्रकट करता है. उसी तरह चिदाकाश भी जब वृत्तियों से रहित होता है तो निर्मलता को प्रकट करता है

आर. अनुराधा

स्तन कैंसर स्तन में शुरू होता है। जब तक यह स्तन तक सीमित है, इससे मरने का अंदेशा नहीं है।


Download Torrent file in IDM
आमिर  दुबई 
डियर रीडर्स , आज मै आपको बताता हूँ की आप टोरेंट फाइल को किस तरह इंटरनेट डाऊनलोड मेनेजर में डाऊनलोड कर सकते हैं। अच्छी तरह से आप इसका तरीका समझ लें ,ताकि आप आसानी से टोरेंट फाइल को 

विंडोज 7 में कैलकुलेटर का उपयोग कैसे करें
Abhimanyu Bhardwaj
Windows के भीतर calculator बहुत ही महत्‍वपूर्ण features है,


विकेश कुमार बडोला

राष्‍ट्रीय एकता परिषद की बैठक में एक बार फिर प्रधानमन्‍त्री ने यूपीए की अकर्मण्‍यता का ठीकरा पूरे देश पर फोड़ा। पता नहीं यह वार्षिक बैठक थी यह परिस्थितिजन्‍य। लेकिन जो भी है सार्वजनिक मंचों से प्रधानमन्‍त्री द्वारा जताई गईं देशव्‍यापी चिंताओं का उद्देश्‍य आखिर 

इन दिनों सतीश जी का लिखने का उत्साह देखकर कितना अच्छा लगता है न एक मन ने कहा , एक के बाद एक नायाब शेर लिख मार रहे है ! और ताऊ जी हर दुसरे दिन एक पोस्ट लिखने वाले पता नहीं इन दिनों कहाँ ग़ायब से हो गए है लगभग तीन हफ्ते से एक भी नई पोस्ट नहीं आयी उनकी !

आज के प्रसारण को यहीं पर विराम देते हैं,इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये,मिलते हैं फिर से एक नए उमंग के साथ अगले गुरुवार को कुछ नये चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ, आपका दिन मंगलमय हो 

Wednesday, September 25, 2013

ब्लॉग प्रसारण : अंक 127

सभी दोस्तों का ब्लॉग प्रसारण पर स्वागत है 
|
यह तो है दुनिया की रीत,गिर गिर सीडीयाँ चढ़ना
सामने हो लक्ष्य,इरादे हों अटल,फिर काहे को डरना
|........सरिता........|
|
अपना हिंदुस्तान 

जिंदगी की शाम 
|
एक सम्पदा सबके भीतर
जीवन की मौलिकता 

जालिम जमाना 
|
वह प्यारे पल 
|
रविकर देखे दृश्य 

उफ़ जिंदगी हाय जिंदगी 
|
चाशनी 
|
क्षणिकाएं 
|
कुर्बानी है प्यार का असली मतलब 'दोस्त'
छोड़ दिया साथ मेरा बस इतना कहकर 

दीजिए इज़ाज़त 
...शुभविदा...

Tuesday, September 24, 2013

बेटियाँ सिर्फ बेटियाँ नहीं होतीं : ब्लॉग प्रसारण अंक 126


"जय माता दी" अरुन की ओर से आप सबको सादर प्रणाम . ब्लॉग प्रसारण में आप सभी का हार्दिक स्वागत करते हुए बढ़ते हैं सूत्रों की ओर.
KK Yadav

Ranjana Bhatia

Mamta Joshi

सुशील जोशी

डॉ. मोनिका शर्मा

Ashok Saluja

सु..मन


Abhishek Shukla

नीलिमा शर्मा


इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं मंगलवार को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ. शुभ विदा शुभ दिन.

Monday, September 23, 2013

ब्लॉग प्रसारण ; सोमवारीय अंक

नमस्कार , पुनः उपस्थित हूँ ब्लॉग प्रसारण के सोमवारीय अंक के साथ. पेश है कुछ ताजे पोस्ट्स तो पढ़िए और नए सप्ताह की अच्छी शुरुआत कीजिये. अपनी पसंदगी नापसंदगी जरूर बताइए :

तलाश मेरे ‘मैं’ की 

बेशर्म और खुदगर्ज सियासत

 बाबा हरभजन सिंह : एक अशरीर भारतीय सैनिक  

मिट्टी की बात 

गिरिजा कुलश्रेष्ठ

'पता चल जायेगा'' 

तरही गज़ल 

जिस्म पर फफोले 

-महेन्द्र वर्मा

माँ के हाथों की रोटी ... 

~ प्रदीप यादव ~

ग़ज़ल ( सेक्युलर कम्युनल ) 

मदन मोहन सक्सेना

“अमलतास की डाली” 

और इसी के साथ मुझे अपने मित्र नीरज कुमार 'नीर' को दीजिये इजाजत , फिर मुलाकात होगी अगले सोमवार को .. धन्यवाद

Sunday, September 22, 2013

गौरव या हीनता??

"जय माता दी" रु की ओर से आप सबको सादर प्रणाम . ब्लॉग प्रसारण में आप सभी का हार्दिक स्वागत करते हुए आइये चलते हैं चुने हुए सूत्रों के ओर.

Vandana Tiwari
सादर वन्दे सुहृद मित्रों... हिन्दी दिवस...हिन्दी पखवाड़ा...फिर धीरे धीरे जोश टांय टांय फिस्स! शुभप्रभात,शुभरात्रि,शुभदिन सभी को good morning,good night & good day दबाने लगे। आज बच्चों के लिए (क्योंकि बच्चे हिन्दी के शब्दों से परिचित नहीं या फिर उनका अंग्रेजी शब्दकोष बढाने के लिए) बेचारे बुजुर्गों और शुद्ध हिंदीभाषी लोगों को भी अंग्रेजी बोलने के लिए अपनी जिव्हा को अप्रत्याशित ढंग से तोड़ना मरोड़ना पड़ता ही है। उन्हें गांधी जी का वक्तव्य कौन स्मरण कराए जो कहा करते थे


Rajendra Sharma
बारिश बूंदे बरस रही ,बरस रहा है नेह
पायलिया सी खनक रही, रूपवती की देह
रूप सलौनी चंद्रमुखी ,अंधियारी है रात
अंधियारे में बहक रहे ,तन मन और जज्बात
मन में क्यों कलेश रहा ,क्यों कलुषित है चित है
नारायण साथ तेरे ,मत हो तू विचलित
नदिया निर्झर बह रहे ,निर्मल बारिश जल
आसमान भी स्वच्छ हुआ ,स्वच्छ हुए जल थल


कुमार गौरव अजीतेन्दु
धर्म के विरुद्ध नित्य षडयंत्र हो रहे हैं, पुष्प राष्ट्रवाद का भी आज कुम्हला रहा।
आसुरी प्रवृत्तियों से त्राहि-त्राहि साधुता है, एक अँधियारा मानो गगन में छा रहा।
दुःख की तो बात है कि सबकुछ देख के भी, तरुणों के रक्त में उबाल नहीं आ रहा।
किसकी नजर लगी भारत की वीरता को, शूकरों का झुंड खड़ा शेर को चिढ़ा रहा॥


Sushil Kumar Joshi
अलग अलग जगहें
अलग अलग आदमी
कई किताबों में
कई जगह लिखी
हुई कुछ इबारतें
समय के साथ
बदलते हुऐ उनके मायने
मरती हुई एक लड़की


Rekha Joshi
छू लें आसमान को कभी यह तमन्ना रखते है
गम मिलें याँ खुशियाँ हर हाल में खुश रहते है
न कोई शिकवा न शिकायत है अब जिंदगी से
संग हवा के चलने पर ऊँचाइयों सा मजा लेते है


सरिता भाटिया
मिलन के साथ हे प्रभु कैसी यह जुदाई
दिल है अपना पर प्रीत है क्यों पराई
मिलन जुदाई की क्यों रीत यह बनाई
मुश्किल है देना किसी अपने को विदाई


उपासना सियाग
करती हूँ आज
आव्हान !
तैतीस करोड़ देवी -देवताओं का ,
हे देवी -देवता
सुनो मेरी आर्त पुकार
हूँ मैं बेबस लाचार

इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं मंगलवार को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ. शुभ विदा शुभ दिन, स्वस्थ रहें मस्त रहें खुशियों में व्यस्त रहें.

Saturday, September 21, 2013

ब्लौग प्रसारण अंक 123

****नमस्कार मित्रों****
****आज मैं फिर हाजिर हूं*** ब्लौग प्रसारण के एक और  अंक के साथ***
आप सबका  स्नेह मिलता रहे इस उमीद के साथ प्रारंभ करता हूं आज का प्रसारण इन प्यारे लिंकों के साथ


***ram ram bhai***
 माया और योगमाया
परमात्मा का दिव्य लोक रहवास योगमाया की ही सृष्टि है। इसी के माध्यम से वह अवतार रूप में इस संसार में आता है। कृष्ण का विलास है मनबहलाव है यही योगमाया। इसी
योगमाया से वह हमारे हृदय में वास करता है हमारे तमाम कर्मों को देखता है। स्वयं  अगोचर बना रहता है।


***साझा आसमान***
हंगामे आरज़ू
अब  उसके  बाद  पूछ  न  क्या  माजरा  हुआ
अपनी  ख़ता  पे  सर  था  किसी  का  झुका  हुआ


***कलम से***
 संविधान में देश अपना आजाद है
" लिखा है संविधान में देश अपना आजाद है ,
खा रहे है रक्षक इसे किया मिलकर बर्बाद है


***दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)
 माँ की आँचल के तले, बच्चों का संसार
शिशु बैठा है गोद में, मूंदे दोनों नैन
 । मात लुटाती प्रेम ज्यों, बरसे सावन रैन


***गुज़ारिश***
  कुण्डलिया [प्यार]
धन दौलत सब छोड़ ,जीवन में प्यार भर लो  
रहे कोई न गैर ,सब से दोस्ती कर लो //

***मेरी धरोहर
 वहीं चंद मोती भी बिखरे मिलेंगे.............अस्तित्व "अंकुर"
मेरी शायरी और तेरे जख्म “अंकुर”,
ग़ज़ल बन के सारे जहां से मिलेंगे


***अपनों का साथ***
 राष्ट्रीय साहित्य,कला और संस्कृति का सम्मान समारोह
इस सफर में कुछ भी सोच कर नहीं चली  थी ...बस एक सम्मान लेने की बात थी जो कि मुझे मिलना था


***अक्षत***
 तुम तूफान समझ पाओगे
ै अज्ञात दिशा को ! हटो विहंगम, उड़ जाओगे !
तुम तूफान समझ पाओगे ?

***शंखनाद***
तुच्छ राजनितिक स्वार्थों के लिए संप्रदायों के दिलों में जहर तो मत घोलो 
मीडिया के इसी रवैये और लेटलतीफी के कारण ही उतरप्रदेश में एक के बाद एक दंगे होते रहे और मीडिया चैन की बंसी बजाता रहा और अब इतने बड़े नरसंहार के बाद थोड़ी
बहुत नींद उडी है जिसे अभी भी पूरा जागना नहीं कहा जा सकता



***कविता मंच***
वो इक भोली-सी लड़की जो मेरे सपनों में आती है
यही डर है कहीं सपना ये उसका टूट न जाये।
उसे जालिम जमाने का लुटेरा लूट न जाये।

***ultapulta***
अपने ब्लॉगर हैडर टेक्स्ट या लोगो पर CSS Hover Effect दिखाएँ 
पहले आप इसका लाइव डेमों देख लें। एंव पसंद
    आने पर इसे अपने ब्लॉग पर लगाएं।


***उच्चारण***
 पर्वत की महिलाएँ
देती हैं सन्देश जगत को,
जीवन श्रम के लिए बना है।
       


***अजेय-असीम {Unlimited Potential}***
 अपना जीवन साथी कैसे चुने?
हमे एक विशिष्ट व्यक्तित्व की आकांक्षा होती हैं ,जिससे हम प्यार करें और अपना परिवार बढ़ाएं


***AAWAZ***
 हिन्‍दू मंदिरों की लूट ओर काँग्रेस : पर्दाफाश किया विदेशी लेखक ने
* 2 लाख मंदिरो मे से 79 करोड़ रुपया सरकार ने लूटा ओर हज पर सबसिडी के रूप मे 59 करोड़ रुपये खर्च किए


आज बस इतना ही...
धन्यवाद

Friday, September 20, 2013

कविता

सभी मित्रों को मेरा नमस्कार!
हर सप्ताह जब कुछ लिंक्स चुनकर आपके सामने प्रस्तुत करना होता है तब बहुत कठिनाई होती है कि किसे शामिल करें और किसे छोडें. हर रचनाकार इतनी लगन और शिद्दत से लेखन करता है कि बस, पढते ही सीधे दिल पर असर होता है. पर सब को शामिल करना संभव भी नहीं, जगह की कमी जो है.
तो लीजिये, कुछ नए-पुराने साथियों की रचनाओं के साथ प्रस्तुत है आज का प्रसारण-


सोहनलाल द्विवेदी जी की कालजयी रचना 
युग युग से है अपने पथ पर  देखो कैसा खड़ा हिमालय! 
डिगता कभी न अपने प्रण से रहता प्रण पर अड़ा हिमालय!...


भाग्य विधाता भारत की, पतवार भारती हिन्दी है। 
अंचल अंचल की उन्नति का, द्वार भारती हिन्दी है।...


हिन्दी भाषा का हुआ, दूषित विमल-वितान। 
स्वर-व्यंजन की है नहीं, हमको कुछ पहचान।। 
बात-चीत परिवेश में, अंग्रेजी उपलब्ध।...


बिछडे हुए मिलेँ तो गज़ल होती है. 
खुशियोँ के गुल खिलेँ त गज़ल होती है. 
वर्शोँ से हैँ आलस्य के नशे मेँ हम सभी...


वो बार- बार घड़ी देखती और बेचैनी से दरवाजे  की तरफ देखने लगती  |५ बजे ही आ जाना था उसे अभी तक नही आया , कोचिंग के टीचर को भी फोन कर चुकी...


माँ सम हिन्दी भारती, आँचल में भर प्यार। 
चली विजय-रथ वाहिनी, सात समंदर पार।   
सकल भाव इस ह्रदय के, हिन्दी पर...


डा0 जगदीश व्योम 
राजा मूँछ मरोड़ रहा है 
सिसक रही हिरनी 
बड़े-बड़े सींगों वाला मृग 
राजा ने मारा 
किसकी यहाँ मजाल 
कहे राजा को...


1 -डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा   
1 मुख-मुस्कान   
नयना प्यार - भरे   
माथे पर बिंदिया   
नन्हा - सा मन   
स्वप्न सजाए, 
बनूँ  तेरी परछ...


आज बस इतना ही!
अगले शुक्रवार को फिर भेंट होगी!
तब तक के लिए नमस्कार!

Thursday, September 19, 2013

ब्लॉग प्रसारण : अंक 121

नमस्कार मित्रों,


मैं राजेंद्र कुमार आज के ब्लॉग प्रसारण पर आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। जैसा की इस मंच का उद्देश्य यह है  की नये ब्लागरों को  अन्य प्रतिष्ठित ब्लोगरों से परिचय कराया जायेगा, उनकी समस्यायों का समाधान किया जायेगा, हम भरपूर कोशिश करते हैं की नये ब्लोगरों के लिंक को सम्मिलित किया जाय। कुछ तो एक दो पोस्ट लिख गायब ही हो जाते है,कई ब्लोगर अभी तक कमेंट्स बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन भी नही हटा पाए है कितनी बार हमने कहा इसे हटा लीजिये और यदि किसी सहयोग की जरूरत हो तो  सम्पर्क करें । परन्तु इन पर  ध्यान ही नही देते, ऐसी परिस्थिति में प्रतिष्ठित ब्लोगरों के पोस्ट की चर्चा तो करनी ही होगी, इस पर कई ब्लोगर यह कमेंट्स करते है की आप सब इस मंच  के उद्देश्य को भूल रहें है।  अब आप सब ही बताये क्या करना चहिये। वार्तालाप तो होते ही रहेगी,चलते है बिना देर किये आज के प्रसारण की तरफ …

ग़ज़ल
कमला सिंह ज़ीनत

मैं तो इस पार हूँ उस पार है जाना मुझको 
जिंदगी अब मुझे हर बार सताना मुझको 



विजयलक्ष्मी संग अंजना 

आज ढूंढ ली राह हमने भी खुदके भटकने से पहले |
उडी खुशबू महफिल में कुछ उनके बहकने से पहले |

आर्यन कोठियाल 
घर में जो मानुष मरे, बाहर देत जलाए,
आते हैं फिर घर में, औघट घाट नहाय,
औघट घाट नहाय, बाहर से मुर्दा लावें,
नून मिर्च घी डाल, उसे घर माहिं पकावें,रो


पितृ पक्ष दिवस
सरिता भाटिया 

पितृ पक्ष का शाब्दिक अर्थ है "पूर्वजों के पखवाड़े"| इसे महालय पक्ष भी कहा जाता है |पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात्‌ उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।

उड़हुल के फूल
ऋता शेखर 'मधु'
उसे
फूलों से
बहुत प्यार था
पत्ता-पत्ता

ताजी चौकाने वाली खबर यह भी है …
सुमन 
दिन जो की 
कल भी वही था 
आज भी वही है 
जो कल आयी थी


प्रकृति में दोपहर
विकेश कुमार बडोला
 श्विन मास की यह स्थिर सुन्‍दरता दृष्टि को भी स्थिर कर रही है। ग्रीष्‍म और शीत के प्रचण्‍ड प्रभाव से विरक्‍त यह प्रकृति सम-शीतोष्‍ण बनी हुई है।

ऑल इंडिया रेडियो ने लॉंच की फ्री मैसेज सर्विस
फार्रुक अब्बास 
सूचना प्रधान आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति देश-विदेश की सभी जानकारियों से अवगत रहना चाहता है. स्पोर्ट्स, मनोरंजन, राजनीति, सामाजिक गतिविधियों की सूचना प्राप्त करने  ………. 

हुकुम रजाई चलिए
अनीता जी 
जब जीवन का लक्ष्य तय हो जाता है तो रास्ता मिलने लगता है, हमारे अंतर की सच्ची पुकार कभी भी अनसुनी नहीं रहती, परम पिता परमात्मा हमारे लिए वह सारे साधन जुटा देता है जो हमारे विकास के लिए आवश्यक हैं.



ना खुद को बाटो ..ना मुझको ...हम बॅट नही सकते..
अर्पणा खरे 
तुमने उसे जाने ही क्यूँ दिया..उस पार
जो उसे लौटना पड़े..अब करो इंतेज़ार...
मनाओ उसके बिना, अपने वृत और त्योहार...


फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
ललित चाहर

 फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
महकाओ तन-मन सारा भावों को विमल कर


मुझे तुम रहने दो यूँ ही मौन !
धीरेन्द्र अस्थाना 

मुझे तुम 
रहने दो 
यूँ ही मौन !
कितने प्रश्न 
हैं भीतर मेरे,
.
 अंत में एक अनमोल वचन पर  मनन करते हैं। 

इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं अगले गुरुवार  को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ। 
 शुभ विदा शुभ दिन।